Jāyasī kā kāvyaIṇḍiyana Yūnivarsiṭī Presa ke lie Himālaya Pākeṭa Buksa, 1973 - Всего страниц: 168 |
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Стр. 73
... आदि का वर्णन कवि ने बहुत कम किया है केवल मन का उल्लास और वेदना का कथन अधिक किया है । वस्तुतः जायसी प्रेम को स्वर्गिक मानते हैं ...
... आदि का वर्णन कवि ने बहुत कम किया है केवल मन का उल्लास और वेदना का कथन अधिक किया है । वस्तुतः जायसी प्रेम को स्वर्गिक मानते हैं ...
Стр. 122
... आदि के विरोधी होते हुए भी भारतीय संस्कृति के विरोधी नहीं हैं किन्तु जायसी हिन्दुनों की वर्ण - व्यवस्था , वेद श्रादि के विरोधी न ...
... आदि के विरोधी होते हुए भी भारतीय संस्कृति के विरोधी नहीं हैं किन्तु जायसी हिन्दुनों की वर्ण - व्यवस्था , वेद श्रादि के विरोधी न ...
Стр. 131
... आदि का वर्णन केवल कष्ट या विपत्ति के प्रसंग में आता है । यहाँ जिस प्रकार चमन श्रानन्दोत्सव का प्रतीक है उसी प्रकार जंगल या बियावान ...
... आदि का वर्णन केवल कष्ट या विपत्ति के प्रसंग में आता है । यहाँ जिस प्रकार चमन श्रानन्दोत्सव का प्रतीक है उसी प्रकार जंगल या बियावान ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अधिक अन्य अपनी अपने अर्थ अल्लाह आदि इन इस प्रकार इसके इसमें इसी इस्लाम इस्लाम धर्म ईश्वर उनके उन्होंने उसकी उसके उसी उसे एक एवं कथा कबीर कर करता है करते करना करने कवि कवि ने कवियों ने कहा का प्रतीक का वर्णन काव्य काव्य में किया है की की ओर की है कुछ के कारण के लिए केवल को कोई खण्ड गया है चित्रण जब जायसी ने जीवन जो तक तथा तो था थे दिया दोनों द्वारा धर्म नहीं नहीं है नागमती नाम पद्मावत पर परमात्मा पृ० प्रतीकों प्रयोग प्रस्तुत प्रेम प्रेम का फ़ारसी ब्रह्म भारतीय भावना भाषा भी मुहम्मद में भी यथा यद्यपि यह या ये रत्नसेन राजा राम वह वही विरह वे शब्द सब समन्वय साथ साधना साहित्य सूफ़ी से सौन्दर्य स्थान हिन्दी साहित्य ही हुआ है हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो जाता है होकर होता है होती होते होने