Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 7
... है , वह अद्वितीय है । मनु और श्रद्धा के बीच जो वार्तालाप कराया गया है वह सहज , सरल और भारतीय आदर्श के अनुकून हैं । परिचय के बाद ...
... है , वह अद्वितीय है । मनु और श्रद्धा के बीच जो वार्तालाप कराया गया है वह सहज , सरल और भारतीय आदर्श के अनुकून हैं । परिचय के बाद ...
Стр. 9
... हैं और श्रद्धा पुकारती ही रह जाती है । इड़ा - यह सर्ग आधुनिक भौतिकवाद और बुद्धिवाद का परिचय प्राप्त कराता है - इड़ा बुद्धिवादिनी के ...
... हैं और श्रद्धा पुकारती ही रह जाती है । इड़ा - यह सर्ग आधुनिक भौतिकवाद और बुद्धिवाद का परिचय प्राप्त कराता है - इड़ा बुद्धिवादिनी के ...
Стр. 41
... है । ईर्ष्यालि मनु को यह ज्ञात हुआ कि श्रद्धा गर्भवती है , तो उसके से वह ईर्ष्या कर बैठा - यह भी अपने ही पुत्र मनु ... है और कहता है : [ ४१ ]
... है । ईर्ष्यालि मनु को यह ज्ञात हुआ कि श्रद्धा गर्भवती है , तो उसके से वह ईर्ष्या कर बैठा - यह भी अपने ही पुत्र मनु ... है और कहता है : [ ४१ ]
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है