Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
Результаты поиска по книге
Результаты 1 – 3 из 41
Стр. 6
... सर्ग नाटकीयता और मनु के स्वगत कथन को लेकर चला है । यह सर्ग जीवन की सृष्टि का एक सुन्दर और मनोवैज्ञानिक चित्र उपस्थित करता है ...
... सर्ग नाटकीयता और मनु के स्वगत कथन को लेकर चला है । यह सर्ग जीवन की सृष्टि का एक सुन्दर और मनोवैज्ञानिक चित्र उपस्थित करता है ...
Стр. 9
... सर्ग में इड़ा विज्ञान को ही महत्व देती है और बुद्धि को ही महान् ... सर्ग से बदल जाती है । स्वप्न - इस सर्ग के प्रारम्भ में गर्भवती ...
... सर्ग में इड़ा विज्ञान को ही महत्व देती है और बुद्धि को ही महान् ... सर्ग से बदल जाती है । स्वप्न - इस सर्ग के प्रारम्भ में गर्भवती ...
Стр. 10
Bhuvana Canda Pāṇḍeya. जाते हैं और वे किसी तरह इस सर्ग में हुई है , जिसे इसी सर्ग में बुद्धिवाद की करते हैं । श्रद्धा के महत्व पहुँचती है ...
Bhuvana Canda Pāṇḍeya. जाते हैं और वे किसी तरह इस सर्ग में हुई है , जिसे इसी सर्ग में बुद्धिवाद की करते हैं । श्रद्धा के महत्व पहुँचती है ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है