Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 6
... वर्णन प्रसाद जी ने जीवन - विकास को ध्यान में घर कर किया हैं , जो मौलिक और मनोहर है , यह सर्ग नाटकीयता और मनु के स्वगत कथन को लेकर चला ...
... वर्णन प्रसाद जी ने जीवन - विकास को ध्यान में घर कर किया हैं , जो मौलिक और मनोहर है , यह सर्ग नाटकीयता और मनु के स्वगत कथन को लेकर चला ...
Стр. 7
... वर्णनों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कराता है । आठ छन्दों के भीतर ही श्रद्धा के रूप यौवन का वर्णन जिस काव्यात्मक ढंग से कवि ने किया है ...
... वर्णनों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कराता है । आठ छन्दों के भीतर ही श्रद्धा के रूप यौवन का वर्णन जिस काव्यात्मक ढंग से कवि ने किया है ...
Стр. 102
... वर्णन ठीक वैसा ही किया है जैसी कि वह है- बिखरी अलकें ज्यों तर्क- जाल । सदृश था स्पष्ट भाल वह विश्व मुकुट - स्सा उज्ज्वलतम शशिखंड दो ...
... वर्णन ठीक वैसा ही किया है जैसी कि वह है- बिखरी अलकें ज्यों तर्क- जाल । सदृश था स्पष्ट भाल वह विश्व मुकुट - स्सा उज्ज्वलतम शशिखंड दो ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है