Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 33
... रहा है ? ऐसा विराट् यह कौन है जिसके नीचे वरुण , ग्रह , नक्षत्र , मरुत आदि सब घम रहे हैं ? यह सारी प्रकृति , सारा विश्व सिर नीचा कर किसकी ...
... रहा है ? ऐसा विराट् यह कौन है जिसके नीचे वरुण , ग्रह , नक्षत्र , मरुत आदि सब घम रहे हैं ? यह सारी प्रकृति , सारा विश्व सिर नीचा कर किसकी ...
Стр. 117
... रही है , मनु इसे स्पष्ट अपनी आँखों से देख रहा है । नष्ट होती | नष्ट होती हुई देव - जाति का वह एक अकेला बचा हुआ प्रतीक मनु है । अत : उसका ...
... रही है , मनु इसे स्पष्ट अपनी आँखों से देख रहा है । नष्ट होती | नष्ट होती हुई देव - जाति का वह एक अकेला बचा हुआ प्रतीक मनु है । अत : उसका ...
Стр. 193
... रहा है । कोई दोस्त उसके साथ नहीं , वह अकेला है । वह दुखी है , उसकी गति मन्द है । वह नहीं जानता कि उसकी नियति उसको कहाँ ले जा रही है ...
... रहा है । कोई दोस्त उसके साथ नहीं , वह अकेला है । वह दुखी है , उसकी गति मन्द है । वह नहीं जानता कि उसकी नियति उसको कहाँ ले जा रही है ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है