Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
Результаты поиска по книге
Результаты 1 – 3 из 27
Стр. 126
... महाकाव्य की रचना की जाती है | वह मानवता को संदेश देकर युग की वाणी को मुखरित करता है । विश्व आदर्श उसके सम्मुख होता है – एक स्पष्ट ...
... महाकाव्य की रचना की जाती है | वह मानवता को संदेश देकर युग की वाणी को मुखरित करता है । विश्व आदर्श उसके सम्मुख होता है – एक स्पष्ट ...
Стр. 206
... महाकाव्य के रख कर अपने ' कामायनी ' की रचना करते तो अवश्य ही लक्षणों को सामने उनके महाकाव्य का नाम आज विश्व साहित्य तो क्या स्वयं ...
... महाकाव्य के रख कर अपने ' कामायनी ' की रचना करते तो अवश्य ही लक्षणों को सामने उनके महाकाव्य का नाम आज विश्व साहित्य तो क्या स्वयं ...
Стр. 207
... महाकाव्य है जिसमें जीवन के सभी अंगों की पूर्ति मनोविज्ञान के माध्यम द्वारा स्वतंत्र रूप से हुई है तारतम्य कहीं भी ढीला या शिथिल ...
... महाकाव्य है जिसमें जीवन के सभी अंगों की पूर्ति मनोविज्ञान के माध्यम द्वारा स्वतंत्र रूप से हुई है तारतम्य कहीं भी ढीला या शिथिल ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है