Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 22
... इड़ा सर्ग में मनु और इड़ा का मिलन , इड़ा के ऊपर मनु का स्वच्छन्द प्रेम की अभिलाषा तथा इड़ा पर एकाधिकार का प्रयत्न और इस पर प्रजा का ...
... इड़ा सर्ग में मनु और इड़ा का मिलन , इड़ा के ऊपर मनु का स्वच्छन्द प्रेम की अभिलाषा तथा इड़ा पर एकाधिकार का प्रयत्न और इस पर प्रजा का ...
Стр. 41
... इड़ा - युग । ) इड़ा के रूप को देखकर मनु का स्वार्थी मन फिर सजग हो उठता है । इड़ा के कहने पर वह सारस्वत प्रदेश का राजा होना स्वीकार ...
... इड़ा - युग । ) इड़ा के रूप को देखकर मनु का स्वार्थी मन फिर सजग हो उठता है । इड़ा के कहने पर वह सारस्वत प्रदेश का राजा होना स्वीकार ...
Стр. 67
... इड़ा के रूप , सौन्दर्य और यौवन के उभार ने मनु को मद - विह्वल बना दिया - वह रह न सका , कहना ही पड़ा : - इड़े ! मुझे वह वस्तु चाहिये जो मैं ...
... इड़ा के रूप , सौन्दर्य और यौवन के उभार ने मनु को मद - विह्वल बना दिया - वह रह न सका , कहना ही पड़ा : - इड़े ! मुझे वह वस्तु चाहिये जो मैं ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है