Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 52
... वह भाग्य- विश्वास के सहारे कर लेता है । जो कुछ उसे मिल गया , वही उसके भाग्य में था , फिर वह असन्तोष की आग में क्यों जले ? सामाजिक ...
... वह भाग्य- विश्वास के सहारे कर लेता है । जो कुछ उसे मिल गया , वही उसके भाग्य में था , फिर वह असन्तोष की आग में क्यों जले ? सामाजिक ...
Стр. 99
... वह कहता है : अज्ज सपन सुंदरिय । रंभ १ लग्गिय परिरंभह | तह तुअ संग ... वह स्वयं कुछ भी नहीं है ; काल - गति के अनुसार वह उन्नति और पतन की ओर ...
... वह कहता है : अज्ज सपन सुंदरिय । रंभ १ लग्गिय परिरंभह | तह तुअ संग ... वह स्वयं कुछ भी नहीं है ; काल - गति के अनुसार वह उन्नति और पतन की ओर ...
Стр. 283
... वह भी हुआ न हा ! तेरा ! " १ तथा , वन में पहुँचने पर जब राम , सीता और लक्ष्मण को गुहराज कुश - शैय्या पर विश्राम करते देखता है , तो उसकी ...
... वह भी हुआ न हा ! तेरा ! " १ तथा , वन में पहुँचने पर जब राम , सीता और लक्ष्मण को गुहराज कुश - शैय्या पर विश्राम करते देखता है , तो उसकी ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने