Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
Результаты поиска по книге
Результаты 1 – 3 из 73
Стр. 16
... प्राप्त नहीं कर पाता । जो भाग्यवान् है वह , बालक और दुर्बल होने पर भी , पर्याप्त धन प्राप्त कर लेता है । जब तक धन की प्राप्ति का समय ...
... प्राप्त नहीं कर पाता । जो भाग्यवान् है वह , बालक और दुर्बल होने पर भी , पर्याप्त धन प्राप्त कर लेता है । जब तक धन की प्राप्ति का समय ...
Стр. 30
... प्राप्त होता रहता है । " कठोपनिषद् का ऋषि भी कर्म - फल- भोग का समर्थन करता हुआ कहता है : योनिमन्ये प्रपद्यन्ते शरीरत्वाय देहिनः ...
... प्राप्त होता रहता है । " कठोपनिषद् का ऋषि भी कर्म - फल- भोग का समर्थन करता हुआ कहता है : योनिमन्ये प्रपद्यन्ते शरीरत्वाय देहिनः ...
Стр. 56
... प्राप्त करने में नहीं करना चाहिए । इस प्रकार ईशावास्योपनिषद् ... प्राप्त हों । और जो बुरे ( आचार वाले ) हैं , यह जरूरी है कि वह बुरो ...
... प्राप्त करने में नहीं करना चाहिए । इस प्रकार ईशावास्योपनिषद् ... प्राप्त हों । और जो बुरे ( आचार वाले ) हैं , यह जरूरी है कि वह बुरो ...
Другие издания - Просмотреть все
Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने