Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 50
... जीवन के साधन अर्थ से क्रय एवं विक्रय किए जाते हैं । जो मनुष्य जिस मात्रा में अर्थ संचय कर लेता है , वह उसी मात्रा में सुख भोग कर सकता ...
... जीवन के साधन अर्थ से क्रय एवं विक्रय किए जाते हैं । जो मनुष्य जिस मात्रा में अर्थ संचय कर लेता है , वह उसी मात्रा में सुख भोग कर सकता ...
Стр. 261
... जीवन व्यतीत करती हुई भी आस्तिकता से विरत नहीं हुई । - ' फलतः परम्परागत विभिन्न नियति- विश्वास उसकी जीवन - यात्रा का पाथेय बन गए । ( ४ ) ...
... जीवन व्यतीत करती हुई भी आस्तिकता से विरत नहीं हुई । - ' फलतः परम्परागत विभिन्न नियति- विश्वास उसकी जीवन - यात्रा का पाथेय बन गए । ( ४ ) ...
Стр. 350
... जीवन से दूर होता जा रहा था । नियतिवाद ने जीवन और काव्य के इस टूटते हुए सम्बन्ध की रक्षा में योग दिया । आधुनिक काल में भारत की ...
... जीवन से दूर होता जा रहा था । नियतिवाद ने जीवन और काव्य के इस टूटते हुए सम्बन्ध की रक्षा में योग दिया । आधुनिक काल में भारत की ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने