Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 51
... जब हम किसी का भाग्योदय होता देख कर हर्ष का अनुभव करते हैं , अथवा अपने भाग्योदय पर प्रसन्न होते हैं , उस समय हमारे हृदय में जिन ...
... जब हम किसी का भाग्योदय होता देख कर हर्ष का अनुभव करते हैं , अथवा अपने भाग्योदय पर प्रसन्न होते हैं , उस समय हमारे हृदय में जिन ...
Стр. 63
... जब जीव को " निर्विशेष , नित्य , शुद्ध , बुद्ध , मुक्त , स्व - प्रकाश चिन्मात्र ब्रह्म ही मैं हूँ " - यह ज्ञान हो जाता है , तब वह माया भी ...
... जब जीव को " निर्विशेष , नित्य , शुद्ध , बुद्ध , मुक्त , स्व - प्रकाश चिन्मात्र ब्रह्म ही मैं हूँ " - यह ज्ञान हो जाता है , तब वह माया भी ...
Стр. 166
... जब आमंत्रित किए गए सभी ब्राह्मण भोजन करने बैठते हैं , तो वही राक्षस आकाशवाणी करके यह बता देता है कि " हे ब्राह्मणो ! इस भोजन में ...
... जब आमंत्रित किए गए सभी ब्राह्मण भोजन करने बैठते हैं , तो वही राक्षस आकाशवाणी करके यह बता देता है कि " हे ब्राह्मणो ! इस भोजन में ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने