Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 151
... कर उठते हैं । कवि कहता है कि विधाता ने जिससे जिसका सम्बन्ध निश्चित कर दिया है , वह अवश्यम्भावी है । मनुष्य अपने मन में चाहे कुछ ...
... कर उठते हैं । कवि कहता है कि विधाता ने जिससे जिसका सम्बन्ध निश्चित कर दिया है , वह अवश्यम्भावी है । मनुष्य अपने मन में चाहे कुछ ...
Стр. 210
... कर जगज्जाल में फँसे जीव को भक्ति की प्रेरणा नहीं दे सकते थे । अतः उन्होंने काल - गति का भय दिखा कर और कर्म - फल- भोग की भयंकरता समझा कर ...
... कर जगज्जाल में फँसे जीव को भक्ति की प्रेरणा नहीं दे सकते थे । अतः उन्होंने काल - गति का भय दिखा कर और कर्म - फल- भोग की भयंकरता समझा कर ...
Стр. 245
... कर सत्कर्म करने की प्रेरणा देता है । भारतीय जीवन में आध्यात्मिकता का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है । पुनर्जन्म एवं कर्म- फल - भोग के ...
... कर सत्कर्म करने की प्रेरणा देता है । भारतीय जीवन में आध्यात्मिकता का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है । पुनर्जन्म एवं कर्म- फल - भोग के ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने