Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 164
... उन्हें समझाती हैं : I अस विचारि सोचहि मति माता । सो न टरइ जो रचइ बिधाता ॥ करम लिखा जौ लिखा जौ बाउर नाहू । तौ कत दोष लगाइअ काहू ॥ तुम्ह ...
... उन्हें समझाती हैं : I अस विचारि सोचहि मति माता । सो न टरइ जो रचइ बिधाता ॥ करम लिखा जौ लिखा जौ बाउर नाहू । तौ कत दोष लगाइअ काहू ॥ तुम्ह ...
Стр. 267
... उन्हें ? भिक्षुक बनाते , पर विधे ! कर्षक न करना था उन्हें । + + + केवल अवर्षण ही नहीं , अति वृष्टि का भी कष्ट है ; बढ़ कर प्रलय सम प्रबल जल ...
... उन्हें ? भिक्षुक बनाते , पर विधे ! कर्षक न करना था उन्हें । + + + केवल अवर्षण ही नहीं , अति वृष्टि का भी कष्ट है ; बढ़ कर प्रलय सम प्रबल जल ...
Стр. 318
... उन्हें निराशाधिक्य में नियति की शरण लेनी पड़ी है । उनका जीवन विरह का जलजात है । नियति ( काल ) से ही उन्हें आँसुओं का दान मिला है : काल ...
... उन्हें निराशाधिक्य में नियति की शरण लेनी पड़ी है । उनका जीवन विरह का जलजात है । नियति ( काल ) से ही उन्हें आँसुओं का दान मिला है : काल ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने