Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр.
... वर्णन करने वाले कवियों की श्रेणियाँ १६५ ७ विरह - वर्णन की शैलियाँ १६८ ८ वात्सल्य विरह - वर्णन १८१ 8 संतान का प्रभाव और परसंतान के ...
... वर्णन करने वाले कवियों की श्रेणियाँ १६५ ७ विरह - वर्णन की शैलियाँ १६८ ८ वात्सल्य विरह - वर्णन १८१ 8 संतान का प्रभाव और परसंतान के ...
Стр. 46
... वर्णन भी बड़ा सटीक किया है । स्व ० प्रो ० बैनी प्रसाद ने लिखा है , - प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन तुलसीदास ने कहीं विस्तार से नहीं किया ...
... वर्णन भी बड़ा सटीक किया है । स्व ० प्रो ० बैनी प्रसाद ने लिखा है , - प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन तुलसीदास ने कहीं विस्तार से नहीं किया ...
Стр. 166
... वर्णन करना अच्छा नहीं लग सकता । दूसरे , कवियों को यत्र - तत्र अपने आराध्य देव की प्रिया के विरह का वर्णन भी करना पड़ा है । ऐसे ...
... वर्णन करना अच्छा नहीं लग सकता । दूसरे , कवियों को यत्र - तत्र अपने आराध्य देव की प्रिया के विरह का वर्णन भी करना पड़ा है । ऐसे ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने