Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 8
... रस - दशा तक पहुँचाने वाली प्रवृति के रूप में प्रतिपादित किया । श्रृंगार के सर्वोपरि महत्व को स्वीकार करते हुए भी हम यह नहीं मानते ...
... रस - दशा तक पहुँचाने वाली प्रवृति के रूप में प्रतिपादित किया । श्रृंगार के सर्वोपरि महत्व को स्वीकार करते हुए भी हम यह नहीं मानते ...
Стр. 9
... रस - स्थिति वस्तुतः पुष्ट होती । हिंदी का वात्सल्य रस से संबद्ध काव्य प्रथम कोटि का है , जिसके प्रेरक सुरदास हैं । स्वाभाविकता एवं ...
... रस - स्थिति वस्तुतः पुष्ट होती । हिंदी का वात्सल्य रस से संबद्ध काव्य प्रथम कोटि का है , जिसके प्रेरक सुरदास हैं । स्वाभाविकता एवं ...
Стр. 12
... रस का उल्लेख करना पड़ेगा , क्योंकि उसे मधुर रस में शामिल करना अनेक विद्वानों को समीचीन प्रतीत न होगा । मैथिलीशरण की ' भंकार ' का ...
... रस का उल्लेख करना पड़ेगा , क्योंकि उसे मधुर रस में शामिल करना अनेक विद्वानों को समीचीन प्रतीत न होगा । मैथिलीशरण की ' भंकार ' का ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने