Jāyasī kā kāvyaIṇḍiyana Yūnivarsiṭī Presa ke lie Himālaya Pākeṭa Buksa, 1973 - Всего страниц: 168 |
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Стр. 17
... नहीं करता श्रपितु गुरू के द्वारा उपयुक्त पात्र समझा जाकर उससे गृहत्याग करवाया जाता है | कथा में श्राश्चर्य तत्त्वों की योजना भी कम ...
... नहीं करता श्रपितु गुरू के द्वारा उपयुक्त पात्र समझा जाकर उससे गृहत्याग करवाया जाता है | कथा में श्राश्चर्य तत्त्वों की योजना भी कम ...
Стр. 45
... नहीं खाली है नूर थे कोई शै । " अर्थात् अखिल- विश्व उसी की ज्योति से दीप्त हो रहा है , कोई भी पदार्थ ऐसा नहीं है जो उसके प्रकाश से विहीन ...
... नहीं खाली है नूर थे कोई शै । " अर्थात् अखिल- विश्व उसी की ज्योति से दीप्त हो रहा है , कोई भी पदार्थ ऐसा नहीं है जो उसके प्रकाश से विहीन ...
Стр. 103
... कहीं नहीं मिलती । सूर की गोपियाँ अन्ततो- गत्वा , किसी भी स्थिति में कृष्ण पर अपना आधिकारिक स्वत्व रखती हैं और अकड़कर भी बोलती हैं ...
... कहीं नहीं मिलती । सूर की गोपियाँ अन्ततो- गत्वा , किसी भी स्थिति में कृष्ण पर अपना आधिकारिक स्वत्व रखती हैं और अकड़कर भी बोलती हैं ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अधिक अन्य अपनी अपने अर्थ अल्लाह आदि इन इस प्रकार इसके इसमें इसी इस्लाम इस्लाम धर्म ईश्वर उनके उन्होंने उसकी उसके उसी उसे एक एवं कथा कबीर कर करता है करते करना करने कवि कवि ने कवियों ने कहा का प्रतीक का वर्णन काव्य काव्य में किया है की की ओर की है कुछ के कारण के लिए केवल को कोई खण्ड गया है चित्रण जब जायसी ने जीवन जो तक तथा तो था थे दिया दोनों द्वारा धर्म नहीं नहीं है नागमती नाम पद्मावत पर परमात्मा पृ० प्रतीकों प्रयोग प्रस्तुत प्रेम प्रेम का फ़ारसी ब्रह्म भारतीय भावना भाषा भी मुहम्मद में भी यथा यद्यपि यह या ये रत्नसेन राजा राम वह वही विरह वे शब्द सब समन्वय साथ साधना साहित्य सूफ़ी से सौन्दर्य स्थान हिन्दी साहित्य ही हुआ है हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो जाता है होकर होता है होती होते होने