Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 142
... सौन्दर्य का अमल रूप दिया है । 1 प्रसाद सौन्दर्य के कवि हैं । ' कामायनी ' के सौन्दर्य को समझने के लिए ' आँसू , को भी एक दृष्टि देना ...
... सौन्दर्य का अमल रूप दिया है । 1 प्रसाद सौन्दर्य के कवि हैं । ' कामायनी ' के सौन्दर्य को समझने के लिए ' आँसू , को भी एक दृष्टि देना ...
Стр. 143
... सौन्दर्य और ( २ ) अप्रस्तुत रूप सौन्दर्य । इसी तरह भाव सौन्दर्य के भी दो भेद- ( १ ) प्रस्तुत भाव सौन्दर्य और ( २ ) अप्रस्तुत भाव सौन्दर्य ...
... सौन्दर्य और ( २ ) अप्रस्तुत रूप सौन्दर्य । इसी तरह भाव सौन्दर्य के भी दो भेद- ( १ ) प्रस्तुत भाव सौन्दर्य और ( २ ) अप्रस्तुत भाव सौन्दर्य ...
Стр. 144
Bhuvana Canda Pāṇḍeya. ' कामायनी ' में रूप सौन्दर्य और भाव सौन्दर्य दोनों का सुन्दर और मधुवेष्ठित चित्रण मिलता है । रूप सौन्दर्य के चित्रण में ...
Bhuvana Canda Pāṇḍeya. ' कामायनी ' में रूप सौन्दर्य और भाव सौन्दर्य दोनों का सुन्दर और मधुवेष्ठित चित्रण मिलता है । रूप सौन्दर्य के चित्रण में ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है