Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 17
... या प्रसाद के आदर्श को हानि पहुँची हो या ' कामायनी ' के उद्देश्य तक पहुँचने में कोई रोड़ा अटकाया हो । निर्वेद से आनन्द सर्ग तक की कथा ...
... या प्रसाद के आदर्श को हानि पहुँची हो या ' कामायनी ' के उद्देश्य तक पहुँचने में कोई रोड़ा अटकाया हो । निर्वेद से आनन्द सर्ग तक की कथा ...
Стр. 25
... या इसी देश की आज की आज की भारतीय नारियों में ऐसा ( आधुनिक शिक्षा , चाहे वह पाश्चात्य नारी के नाश का कारण है ) । वैदिक साहित्य या ...
... या इसी देश की आज की आज की भारतीय नारियों में ऐसा ( आधुनिक शिक्षा , चाहे वह पाश्चात्य नारी के नाश का कारण है ) । वैदिक साहित्य या ...
Стр. 173
... या तो काम्य यज्ञों के बीच दिखाया है अथवा उद्योग - धन्धों या शासन - विधानों के बीच । ” आचार्य शुक्ल जी इस बात को भूल क्यों गये हैं कि ...
... या तो काम्य यज्ञों के बीच दिखाया है अथवा उद्योग - धन्धों या शासन - विधानों के बीच । ” आचार्य शुक्ल जी इस बात को भूल क्यों गये हैं कि ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है