Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - Всего страниц: 207 |
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Стр. 16
... भी अतीत की ओर देखा और चिन्तन - मनन के फलस्वरूप ' कामायनी ' को आधुनिक रूप में नहीं वरन् आने वाले युगों के रूप की ओर भी संकेत किया तथा ...
... भी अतीत की ओर देखा और चिन्तन - मनन के फलस्वरूप ' कामायनी ' को आधुनिक रूप में नहीं वरन् आने वाले युगों के रूप की ओर भी संकेत किया तथा ...
Стр. 103
... भी प्रकृति का ऐसा अस्वाभाविक वर्णन हुआ है कि गोप - गोपियों , राधा तथा यशोदा के प्रति करुणा का भाव न जाग्रत होकर ' प्रियप्रवास ' के कवि ...
... भी प्रकृति का ऐसा अस्वाभाविक वर्णन हुआ है कि गोप - गोपियों , राधा तथा यशोदा के प्रति करुणा का भाव न जाग्रत होकर ' प्रियप्रवास ' के कवि ...
Стр. 123
... भी उन संस्कृतियों में लिप्त न हो सकी । भारतीय संस्कृति का सम्पर्क मुस्लिम संस्कृति से अधिक रहा । फिर भी वह मुस्लिम रीति - रिवाज ...
... भी उन संस्कृतियों में लिप्त न हो सकी । भारतीय संस्कृति का सम्पर्क मुस्लिम संस्कृति से अधिक रहा । फिर भी वह मुस्लिम रीति - रिवाज ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है