Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
Результаты поиска по книге
Результаты 1 – 3 из 79
Стр. 211
... थीं । पहली संस्कृति राज- शक्ति का आश्रय खोकर बुरी तरह कुचली जाने पर भी अपने अस्तित्व की रक्षा का प्रयत्न करती हुई प्रतिशोध की भावना ...
... थीं । पहली संस्कृति राज- शक्ति का आश्रय खोकर बुरी तरह कुचली जाने पर भी अपने अस्तित्व की रक्षा का प्रयत्न करती हुई प्रतिशोध की भावना ...
Стр. 216
... हुई ' ईस्ट इण्डिया कम्पनी ' धीरे - धीरे अपने पैर फैलाती हुई अवघ की ओर बढ़ रही थी । विलास में डूबी हुई वहाँ की नवाबी उसके सामान्य आघात ...
... हुई ' ईस्ट इण्डिया कम्पनी ' धीरे - धीरे अपने पैर फैलाती हुई अवघ की ओर बढ़ रही थी । विलास में डूबी हुई वहाँ की नवाबी उसके सामान्य आघात ...
Стр. 346
... हुई है । कबीर ने कर्म - फल - भोग को अनिवार्य मान कर जीवों को सद्कर्म करते हुए ईश्वरोपासना की प्रेरणा दी है तथा दुर्दैव एवं काल - गति ...
... हुई है । कबीर ने कर्म - फल - भोग को अनिवार्य मान कर जीवों को सद्कर्म करते हुए ईश्वरोपासना की प्रेरणा दी है तथा दुर्दैव एवं काल - गति ...
Другие издания - Просмотреть все
Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने