Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 52
... से बच भी तो नहीं सकता ; क्योंकि वे उसके ललाट - लेख में अंकित हो चुके हैं । जिन परिस्थितियों में उसका जन्म हो गया , उन्हीं में उसे ...
... से बच भी तो नहीं सकता ; क्योंकि वे उसके ललाट - लेख में अंकित हो चुके हैं । जिन परिस्थितियों में उसका जन्म हो गया , उन्हीं में उसे ...
Стр. 58
... से नए कर्म बँधते हैं । कर्मों से गतियों में जन्म लेना पड़ता है । जन्म लेने से शरीर मिलता है , शरीर में इन्द्रियाँ होती हैं और ...
... से नए कर्म बँधते हैं । कर्मों से गतियों में जन्म लेना पड़ता है । जन्म लेने से शरीर मिलता है , शरीर में इन्द्रियाँ होती हैं और ...
Стр. 360
... से ७ तक ; १ ९ १३ ई ० 11 11 ६२ . पर्व ८ से ११ तक ; १ ९ ०४ ई ० 11 11 ६३ . पर्व १२ से १६ तक ; १ ९ ०५ ई ० 11 " ६४ . पर्व १७ से २४ तक ; १ ९ ०६ ई ० " ६५ . पर्व २४ से ...
... से ७ तक ; १ ९ १३ ई ० 11 11 ६२ . पर्व ८ से ११ तक ; १ ९ ०४ ई ० 11 11 ६३ . पर्व १२ से १६ तक ; १ ९ ०५ ई ० 11 " ६४ . पर्व १७ से २४ तक ; १ ९ ०६ ई ० " ६५ . पर्व २४ से ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने