Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 18
... कर्मों के फल - भोग की अनिवार्यता घोषित करने वाले विचार- ' भारतीय दर्शन ' के पुनर्जन्म एवं कर्म - सिद्धान्त ने इन विचारों को जन्म दिया ...
... कर्मों के फल - भोग की अनिवार्यता घोषित करने वाले विचार- ' भारतीय दर्शन ' के पुनर्जन्म एवं कर्म - सिद्धान्त ने इन विचारों को जन्म दिया ...
Стр. 59
... कर्मों का फल -नियत- कर्ता ईश्वर है । जिस प्रकार जैनदर्शन यह मानता है कि कर्म अपना फल स्वयं देते हैं , उसी प्रकार बौद्ध दर्शन भी कर्मों ...
... कर्मों का फल -नियत- कर्ता ईश्वर है । जिस प्रकार जैनदर्शन यह मानता है कि कर्म अपना फल स्वयं देते हैं , उसी प्रकार बौद्ध दर्शन भी कर्मों ...
Стр. 209
... कर्मों को महत्त्व प्रदान करता है और दूसरी ओर उन पर ईश्वर का नियंत्रण बतलाता हैं । जीव को मिलने वाले सुख - दुखों को उसी का प्रारब्ध ...
... कर्मों को महत्त्व प्रदान करता है और दूसरी ओर उन पर ईश्वर का नियंत्रण बतलाता हैं । जीव को मिलने वाले सुख - दुखों को उसी का प्रारब्ध ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने