Hindī-kāvya meṃ niyativādaKitāba Mahala, 1964 - Всего страниц: 384 |
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Стр. 111
... अपने वातावरण के बाहर वह अपनी प्रतिभा का प्रकाश पहुँचाने में असमर्थ हो जाता है । परिस्थितियों की कठोर चट्टानें उसके भाव - लोक की ...
... अपने वातावरण के बाहर वह अपनी प्रतिभा का प्रकाश पहुँचाने में असमर्थ हो जाता है । परिस्थितियों की कठोर चट्टानें उसके भाव - लोक की ...
Стр. 182
... अपनी अनन्य भक्ति प्रकट की है । मुक्तक काव्य होने के कारण इसमें उन्हें अपने नियति- विश्वासों की अभिव्यक्ति के लिए ' रामचरितमानस ' के ...
... अपनी अनन्य भक्ति प्रकट की है । मुक्तक काव्य होने के कारण इसमें उन्हें अपने नियति- विश्वासों की अभिव्यक्ति के लिए ' रामचरितमानस ' के ...
Стр. 216
... अपने जीवन के अन्त तक लगा रहा , किन्तु सफल न हुआ । सन् १७०७ ई ० में उसके मरते ही विशाल मुग़ल साम्राज्य छिन्न - भिन्न होने लगा । सन् ...
... अपने जीवन के अन्त तक लगा रहा , किन्तु सफल न हुआ । सन् १७०७ ई ० में उसके मरते ही विशाल मुग़ल साम्राज्य छिन्न - भिन्न होने लगा । सन् ...
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Часто встречающиеся слова и выражения
अतः अनेक अपनी अपने अभिव्यक्ति आदि इस इस प्रकार ई० ईश्वर उनका उनकी उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक एवं ओर और कबीर कर करके करता है करती करते करने कर्म कर्मों कवि कहते हैं का काल काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए के साथ को कोई गई गति गया है छंद जब जा जाता है जाती जीव के जीवन जो तक तथा तब तो था थी थे दिया दुख नहीं नियति नियतिवाद नियतिवाद की ने पर पृष्ठ प्रभाव प्राप्त फल भवितव्यता भाग भाग्य भारत भारतीय भावना भी भोग मनुष्य में नियतिवाद यह या रहा राम रामचरितमानस वह वही वाले वि० विधाता विधि विभिन्न विश्वास वे शक्ति सकता सब समय समस्त साहित्य सीता से स्थान हम हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए है और है कि है तथा हो होता है होती होते होने