Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 131
... नहीं सकती जब तक स्वप्नदृष्टा को उसका शारीरिक या थोड़ा- बहुत मानसिक परिचय प्राप्त न होगा । अधिकांश , प्रायः सभी , स्वप्नों से ...
... नहीं सकती जब तक स्वप्नदृष्टा को उसका शारीरिक या थोड़ा- बहुत मानसिक परिचय प्राप्त न होगा । अधिकांश , प्रायः सभी , स्वप्नों से ...
Стр. 286
... नहीं मिली । स्मृति कामदशाओं की आत्मा है , जिसके बिना विरह- वर्णन संभव ही नहीं है , और यदि कदाचित संभव हो भी , तो निष्प्राण होगा ...
... नहीं मिली । स्मृति कामदशाओं की आत्मा है , जिसके बिना विरह- वर्णन संभव ही नहीं है , और यदि कदाचित संभव हो भी , तो निष्प्राण होगा ...
Стр. 456
... नहीं है । तब क्या बिना रहस्यवादी कहलाए कवि सार्थक हो ही नहीं सकता था ? अवश्य हो सकता था , हुआ था । पर समय की झोंक में न पड़ना बड़े ...
... नहीं है । तब क्या बिना रहस्यवादी कहलाए कवि सार्थक हो ही नहीं सकता था ? अवश्य हो सकता था , हुआ था । पर समय की झोंक में न पड़ना बड़े ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने