Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 111
Rāmaprasāda Miśra. मृत्यु पर तो शायद ही कोई कवि कलम उठाता हो । कलम तो नेताओं की मृत्यु पर उठती है , वह भी केवल उठ कर ही रह जाती है , आगे बढ़कर ...
Rāmaprasāda Miśra. मृत्यु पर तो शायद ही कोई कवि कलम उठाता हो । कलम तो नेताओं की मृत्यु पर उठती है , वह भी केवल उठ कर ही रह जाती है , आगे बढ़कर ...
Стр. 263
... तो निस्सन्देह उसका विरह - काव्य पूरी शक्ति के साथ जायसी , सूर , मीरा , घनानन्द की परम्परा को आगे बढ़ा सकता । पर छायावादी विरह - सृष्टा ...
... तो निस्सन्देह उसका विरह - काव्य पूरी शक्ति के साथ जायसी , सूर , मीरा , घनानन्द की परम्परा को आगे बढ़ा सकता । पर छायावादी विरह - सृष्टा ...
Стр. 476
... तो है , देखा तो गद्गद , न देखा तो विगलित । दुख - सुख मन का खेल ही तो है ; कभी हर्ष - विह्वल , कभी शोक - विह्वल । जीवन की पूर्णता समन्वय और ...
... तो है , देखा तो गद्गद , न देखा तो विगलित । दुख - सुख मन का खेल ही तो है ; कभी हर्ष - विह्वल , कभी शोक - विह्वल । जीवन की पूर्णता समन्वय और ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने