Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 13
... तक पहुंच सकती हैं । " उपसर्य मातरं भूमिम् " के ऋग्वेद - सूत्र से लेकर आज तक के कवियों के स्वरों में मातृभूमि - प्रेम थोड़ी बहुत मात्रा ...
... तक पहुंच सकती हैं । " उपसर्य मातरं भूमिम् " के ऋग्वेद - सूत्र से लेकर आज तक के कवियों के स्वरों में मातृभूमि - प्रेम थोड़ी बहुत मात्रा ...
Стр. 101
... तक मुक्तक काव्य से ही रहा है , प्रबन्ध के क्षेत्र में नायक प्रायः महान होते हैं , ग्रतः उधर यह प्रेम बढ़ सका । ऐसे प्रेम तथा विरह का ...
... तक मुक्तक काव्य से ही रहा है , प्रबन्ध के क्षेत्र में नायक प्रायः महान होते हैं , ग्रतः उधर यह प्रेम बढ़ सका । ऐसे प्रेम तथा विरह का ...
Стр. 136
... तक पूर्वराग आगे चल कर पूर्ण रति या प्र ेम के रूप में परिणत नहीं होता , तब तक उसे हम चित्र की कोई उदात्त या गंभीर वृत्ति नहीं कह सकते ...
... तक पूर्वराग आगे चल कर पूर्ण रति या प्र ेम के रूप में परिणत नहीं होता , तब तक उसे हम चित्र की कोई उदात्त या गंभीर वृत्ति नहीं कह सकते ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने