Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 58
... कवि जिनकी संख्या बहुत कम है । रीति - बद्ध रचना करने वाले कवियों में चितामरिण , बिहारी , भूषण , मतिराम , देव , कालिदास , कुलपति सुखदेव ...
... कवि जिनकी संख्या बहुत कम है । रीति - बद्ध रचना करने वाले कवियों में चितामरिण , बिहारी , भूषण , मतिराम , देव , कालिदास , कुलपति सुखदेव ...
Стр. 165
... कवि प्रधानतः जायसी , सूर , मीरा हुए हैं । इनके अतिरिक्त देव , घनानंद और ठाकुर भी वेदना के कुशल गायक थे । बिहारी आदि रीतिकालीन कवियों ...
... कवि प्रधानतः जायसी , सूर , मीरा हुए हैं । इनके अतिरिक्त देव , घनानंद और ठाकुर भी वेदना के कुशल गायक थे । बिहारी आदि रीतिकालीन कवियों ...
Стр. 234
... कवियों ने इस तथ्य को ठीक - ठीक समझा है ! द्विवेदी युगीन कवियों का विशेष सफलता पाई है । विरह और प्रकृति के व्यापक संबंध पर भी ध्यान ...
... कवियों ने इस तथ्य को ठीक - ठीक समझा है ! द्विवेदी युगीन कवियों का विशेष सफलता पाई है । विरह और प्रकृति के व्यापक संबंध पर भी ध्यान ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने