Khaṛī Bolī kavitā meṃ viraha-varṇanaSarasvatī Pustaka Sadana, 1964 - Всего страниц: 556 |
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Стр. 102
... अपने प्रेमी के प्रति कितना भी प्रास्थावान तथा नम्र क्यों न हो , आखिर नारी तो बन नहीं सकता । फलस्वरूप तरुण- प्रेमी का हृदय कभी ...
... अपने प्रेमी के प्रति कितना भी प्रास्थावान तथा नम्र क्यों न हो , आखिर नारी तो बन नहीं सकता । फलस्वरूप तरुण- प्रेमी का हृदय कभी ...
Стр. 243
... अपने मांसल भावों को प्रतीकों में भी अभिव्यक्त करके संतुष्ट होता है , विशेष करके भारत जैसे मर्यादावादी देश में लौकिक प्रणय ...
... अपने मांसल भावों को प्रतीकों में भी अभिव्यक्त करके संतुष्ट होता है , विशेष करके भारत जैसे मर्यादावादी देश में लौकिक प्रणय ...
Стр. 269
... अपने उत्कृष्ट मनोवैज्ञानिक ज्ञानाभास , अपने ललिततम काम एवं लज्जा सर्गों , अपने महान् प्रकृति - चित्रणों , अपने विराट भाषा ...
... अपने उत्कृष्ट मनोवैज्ञानिक ज्ञानाभास , अपने ललिततम काम एवं लज्जा सर्गों , अपने महान् प्रकृति - चित्रणों , अपने विराट भाषा ...
Часто встречающиеся слова и выражения
अधिक अनेक अपनी अपने अब इत्यादि इस उनकी उनके उस उसका उसकी उसके उसे ऊर्मिला एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करता है करती करते करने कवि कविता कवियों का कालिदास काव्य काव्य में किया है किसी की की दृष्टि से कुछ कृष्ण के कारण के प्रति केवल को कोई क्या क्योंकि क्षेत्र जब जा जाता है जीवन जो तक तथा तब तुलसीदास तो था थी थे दिया नहीं है नारी ने पर प्रकट प्रकार प्रभाव प्रसाद प्राप्त प्रिय प्रेम बन बहुत भारत भाव भी महादेवी महान में भी मेघदूत मैं मैथिलीशरण यदि यह या युग रस रहता है रहा रही रहे राम रूप में वर्णन वह वात्सल्य वाले विद्यापति वियोग विरह विरह के विरह-वर्णन वे वेदना सकता है सभी सर्ग साकेत साहित्य सीता सूर स्थान स्पष्ट स्मृति हम हिंदी हिन्दी ही हुआ है हुई हुए हृदय है कि हैं हो होता है होती होते होने